भौगोलिक दृष्टि से सुदृढ़ और ऐतिहासिक गौरव का पर्याय है खरगापुर विधानसभा
खरगापुर विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक हर मायने में अपनी अलग अहमियत रखता है। सूखे की पहचान बन चुके बुंदेलखंड का यह अहम हिस्सा एक तरफ उर नदी और दूसरी ओर धसान नदी से घिरा है। प्रक्रियाधीन बान सुजारा वृहद सिंचाई परियोजना ने किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की उम्मीद बंधाई है। एक-एक खेत तक पानी पहुंचाने की एशिया महाद्वीप की सबसे सस्ती परियोजना को मूर्तरूप देने पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा केन-बेतवा नदियों का गठजोड़ बुंदेलखंड के इस हिस्से से सूखे का कलंक हमेशा के लिए मिटा देगा। बान सुजारा बांध से खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के गांवों में पेयजल सप्लाई की जाएगी। हालांकि इसमें और गांव बढ़ाने की जरूरत है। जिसकी मांग लगातार उठ रही है। बल्देवगढ़ का ग्वालसागर तालाब भरने से भी करीब आधा सैकड़ा गांव को लाभ होगा।
ऐतिहासिक पृष्टभूमि पर भी खरगापुर विधानसभा क्षेत्र का गौरवशाली इतिहास दर्ज है। बल्देवगढ़ स्थित ऐतिहासिक किला ओरछा रियासत का सबसे सुरक्षित स्थल माना जाता था। तीन ओर से तालाब(ग्वाल सागर, जुगल सागर और धर्म सागर) और चौथी ओर ऊंची पहाड़ी से घिरा होने के कारण युद्ध सामग्री भंडारण व सैन्य अभ्यास लिए रियासत में सबसे उपयुक्त स्थल था। बल्देवगढ़ की तोप…ऐतिहासिक गौरव की गाथा स्वयं सुनाती है। स्वतंत्रता संग्राम में क्षेत्र के सेनानियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। बल्देवगढ़ हायर सेकेंडरी स्कूल प्रांगण स्थित शहीद स्मारक बलिदानी शूरवीरों की दास्तान बयां करता है।

धार्मिक क्षेत्र की दृष्टि से भी खरगापुर विधानसभा क्षेत्र की अलग पहचान है। लोगों की आस्था के केंद्र मां विंध्यवासिनी मंदिर(बल्देवगढ़), प्रसिद्ध दिगंबर जैन सिद्ध तीर्थ अहारजी, मां कालका मंदिर(देरी), मां दूबदेई और बगाज माता मलगुवां आदि सिद्ध क्षेत्र खरगापुर विधानसभा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार हैं।

परिवहन की दृष्टि से भी खरगापुर विधानसभा क्षेत्रवासियों को सड़क और रेलमार्ग से यातायात की सुविधा उपलब्ध है। खरगापुर विधायक राहुल सिंह के प्रयासों से खरगापुर रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के स्टॉपेज संभव हो सके। इसलिए विधानसभा क्षेत्र से मध्य प्रदेश की राजधानी और देश की राजधानी के लिए सस्ते और सुगम रेल सफर की सुविधा क्षेत्रवासियों को मिल रही है। गांव-गांव तक सड़कों का जाल बिछाए जाने से यात्री परिवहन भी पूर्व की अपेक्षा सुविधाजनक और किफायती हो गया है।

बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करें तो दोनों क्षेत्रों में फिलहाल काफी सुधार की आवश्यकता है। उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी मरीजों को खल रही है। हद तो यह है कि पूरी विधानसभा क्षेत्र में एक भी महिला रोग विशेषज्ञ पदस्थ नहीं है। बल्देवगढ़, खरगापुर और पलेरा सीएचसी में महिला रोग विशेषज्ञों की स्वीकृत सभी पद रिक्त हैं। स्कूलों में अतिथि शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है, जहां नियमित शिक्षकों की पदस्थापना की दरकार है।

बुंदेलखंड में जलप्रबंध की कुछ कौतुहलपूर्ण बानगी टीकमगढ़ जिले के तालाबों से उजागर होती है। एक हजार वर्ष पूर्व ना तो आज के समान मशीनें-उपकरण थे ना भूगर्भ जलवायु, इंजीनियरिंग आदि के बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट। फिर भी एक हजार से अधिक तालाब गढ़े गए, जिनमें बड़ी संख्या में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में थे। फिर चाहे वह बल्देवगढ़ का ग्वाल सागर तालाब हो, अहार का मदन सागर या लड़वारी, नारायणपुर आदि गांव के तालाब हों। इनमें से हर एक को बनाने में यह ध्यान रखा गया कि पानी की एक-एक बूंद इसमें समा सके। इनमें कैचमेंट एरिया और सिंचाई क्षेत्र का वो बेहतरीन अनुपात निर्धारित था कि आज के इंजीनियर भी उसे समझ नहीं पाते हैं। प्राचीन तालाबों की उपेक्षा सूबे में जलसंकट की अहम वजह मानी जाती है। इसके बावजूद इनके जीर्णोद्धार के लिए अहम कदम नहीं उठाया जा रहा है। योजनाएं जरूर बनाईं गईं, लेकिन मैदानी स्तर पर परिणाम नजर नहीं आते हैं।

खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के भौगोलिक परिदृश्य पर नजर डालें तो यह जिले की ऐसी एकमात्र विधानसभा है, जिसमें दो ब्लॉक मुख्यालय बल्देवगढ़ और पलेरा शामिल हैं। तीन नगर परिषद, दो जनपद पंचायत और करीब डेढ़ सौ ग्राम पंचायतें शामिल होने से जिले की तीनों विधानसभाओं में खरगापुर की अलग अहमियत है। पत्थर, पहाड़, वन्य क्षेत्र के अलावा खनिज का भंडारण भी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में बताया जाता है।
खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में उद्योगों का अभाव है। बड़े उद्योग और छोटे स्वरोजगारी उद्यमों की बेहद आवश्यकता है। जिससे क्षेत्र में बढ़ रही बेरोजगारी को कम किया जा सके। क्षेत्र में काम मिलने से निश्चित ही अंचल से ग्रामीणों का पलायन रोका जा सकेगा।